जयपुर/ दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों ने रोट तीज का पर्व मनाया। इस मौके पर मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना हुई।
घरों में रोट और खीर बनाकर अन्य धर्मों के लोगों और मित्रों को खिलाया गया।
राजस्थान जैन युवा महासभा ग्रामीण महामंत्री अमन जैन कोटखावदा ने बताया कि जैन धर्म की महिलाओं ने व्रत रखा। आठ सितम्बर से दशलक्षण महापर्व की शुरुआत होगी। दस दिन मंदिरों में दस लक्षणों की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी।
जैन धर्मावलंबी श्रद्धानुसार तीन दिन एवं अधिक दिनों का उपवास रखेंगे।
वहीं षोडशकारण और मेघमाला व्रत 18 सितंबर तक चलेंगे
पारस जैन बिची ने बताया कि पौराणिक कथाओं और परम्पराओं के आधार पर मनाया जाने वाले रोट तीज पर्व पर आज भी पारंपरिक खाद्य सामग्री ही उपयोग में ली जाती है। कोयलें की आंच पर सिगड़ी में मिट्टी के तवे पर ही रोट बनाया जाता है।
दशलक्षण महापर्व की शुरुआत से पहले रसोई को साफ करके शुद्ध मसालों और हाथ की चक्की से मोटा आटा पीसकर रोट बनाया जाता है। पहला रोट मंदिर में विराजमान तीर्थंकरों को अर्पित किया जाता है। इसे दही, बूरे, तुरई की सब्जी और रायता से खाया जाता है।